भोपाल और इंदौर के बीच 160 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके तहत मोहन सरकार द्वारा दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस परियोजना की कुल लागत लगभग ₹15,000 करोड़ आंकी गई है। यह कॉरिडोर भोपाल के साउथ-वेस्टर्न बायपास के किसी जंक्शन या रातीबड़ से शुरू होकर सीधे इंदौर तक जाएगा। इस नए कॉरिडोर के निर्माण से भोपाल और इंदौर के बीच की दूरी करीब 40 किलोमीटर कम हो जाएगी।
यात्रा समय और ईंधन की होगी बचत
वर्तमान में भोपाल से इंदौर की यात्रा के लिए 190 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करना होता है, जिसमें यातायात देवास के रास्ते से गुजरता है। प्रस्तावित ग्रीनफील्ड कॉरिडोर देवास से नहीं होकर गुजरेगा, जिससे यात्रा समय और ईंधन की बचत संभव होगी। इस परियोजना को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अंतर्गत लागू किया जाएगा।
ग्रीनफील्ड कॉरिडोर से मिलेगा औद्योगिक विकास को बढ़ावा
नए ग्रीनफील्ड कॉरिडोर के निर्माण से न केवल भोपाल और इंदौर के बीच संपर्क बेहतर होगा, बल्कि औद्योगिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इस कॉरिडोर के किनारे मल्टी-लॉजिस्टिक वेयरहाउस और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे। यह परियोजना व्यापार और निवेश को गति प्रदान करेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा।
कांग्रेस के कार्यकाल में प्रस्तावित हुई थी एक्सप्रेसवे योजना
इससे पहले, यह परियोजना 2019 में कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई थी, जिसके तहत भोपाल और इंदौर के बीच एक्सप्रेसवे बनाने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, सरकार बदलने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। अब इस परियोजना का कार्य वर्तमान में मोहन सरकार के नेतृत्व में शुरू किया जा रहा है।
इंदौर-उज्जैन के बीच ग्रीनफील्ड फोरलेन सड़क को मिली मंजूरी
इंदौर और उज्जैन के बीच ग्रीनफील्ड फोरलेन सड़क और सिंहस्थ बायपास को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी मिल गई है। यह परियोजना क्षेत्र में सड़कों को बेहतर बनाने और यात्रा सुविधाओं को आसान बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
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इस परियोजना की कुल लागत लगभग ₹2,271 करोड़ आंकी गई है। इससे न केवल इंदौर और उज्जैन के बीच आवागमन सुगम होगा, बल्कि समय और ईंधन की भी बचत होगी। 160 किलोमीटर लंबा यह ग्रीनफील्ड कॉरिडोर क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई दिशा देगा।
डीपीआर तैयार होने के बाद शुरू होगा निर्माण कार्य
इस कॉरिडोर का निर्माण कार्य विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार होने के बाद शुरू किया जाएगा। इसके माध्यम से परिवहन प्रणाली को आधुनिक और कुशल बनाया जाएगा, जो व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
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